Income Tax New Law: आपने सपना देखा होगा अपना खुद का घर बनवाने का, एक ऐसी जगह जहाँ आपकी हर यादें जुड़ी हों। लेकिन क्या हो अगर इस सपने को पूरा करने के रास्ते में आयकर विभाग का एक नया नियम आ जाए? जी हाँ, भारत सरकार ने प्रॉपर्टी खरीदारी से जुड़ा एक ऐसा नया नियम लागू किया है जो 50 लाख रुपये से ज्यादा की संपत्ति खरीदने वालों को सीधे तौर पर प्रभावित करेगा। इस आर्टिकल में, हम आपको इस नए TDS नियम के बारे में हर छोटी-बड़ी बात आसान भाषा में समझाएंगे। आपको पता चलेगा कि यह नियम क्या है, यह कब लागू हुआ है, TDS कितना देना होगा और इसे भरने का तरीका क्या है। अगर आप प्रॉपर्टी खरीदने का सोच रहे हैं या फिर भविष्य के लिए प्लानिंग कर रहे हैं, तो यह जानकारी आपके लिए बेहद जरूरी है। इसलिए, इस आर्टिकल को अंत तक जरूर पढ़ें ताकि आप कोई भी फैसला लेने से पहले पूरी तरह से aware रहें।
50 लाख से ज्यादा की प्रॉपर्टी पर TDS: पूरी जानकारी एक ही जगह
आपकी जानकारी के लिए बता दें, आयकर विभाग का यह नया नियम 1 अप्रैल, 2024 से लागू हो गया है। इसमें कहा गया है कि अगर कोई व्यक्ति 50 लाख रुपये से अधिक की रकम वाली कोई भी प्रॉपर्टी (जैसे प्लॉट, घर, बिल्डिंग आदि) खरीदता है, तो उसे खरीदारी के समय ही टोटल अमाउंट का 1% TDS के रूप में काटकर सरकार को जमा कराना होगा। यह नियम पहले से चल रहे TDS प्रोविजन में एक बढ़ोतरी है और इसका मकसद बड़े लेन-देन पर नजर रखना है।
नए नियम के मुताबिक TDS कब और कितना देना होगा?
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, इस नियम को समझना बहुत आसान है। अगर आप किसी भी प्रॉपर्टी को 50 लाख रुपये या उससे ज्यादा के दाम पर खरीद रहे हैं, तो आपकी जिम्मेदारी बनती है कि आप पूरी रकम का 1% TDS काटें। मिसाल के तौर पर, अगर कोई प्रॉपर्टी 75 लाख रुपये में बिक रही है, तो खरीदार को 75,000 रुपये TDS के तौर पर अलग से काटकर सरकार के खाते में जमा कराना होगा। यह काम प्रॉपर्टी रजिस्ट्रेशन के वक्त ही करना जरूरी है।
TDS भरने की पूरी प्रक्रिया क्या है?
TDS भरने की प्रक्रिया थोड़ी लंबी जरूर है, लेकिन अगर आप स्टेप बाय स्टेप चलेंगे तो आसानी से कर पाएंगे। सबसे पहले, आपको आयकर विभाग की ऑफिशियल वेबसाइट पर जाकर फॉर्म 26QB भरना होगा। इस फॉर्म में खरीदार और विक्रेता दोनों की जरूरी जानकारी देनी होती है, जैसे PAN कार्ड, पता, प्रॉपर्टी का पूरा पता और खरीद की रकम। फॉर्म भरने के बाद, आपको ऑनलाइन पेमेंट के जरिए TDS की रकम जमा करनी होगी। पेमेंट हो जाने के बाद, एक चालान नंबर मिलेगा, जिसे आपको सुरक्षित रखना है। आखिर में, TDS की सर्टिफिकेट यानी फॉर्म 16B डाउनलोड करके विक्रेता को देना होगा।
अगर TDS नहीं भरा तो क्या नुकसान होगा?
अगर आप TDS काटने या जमा कराने में कोताही बरतते हैं, तो आपको आयकर कानून के तहत परेशानी का सामना करना पड़ सकता है। इसमें भारी जुर्माना और ब्याज का भुगतान भी शामिल हो सकता है। सूत्रों के मुताबिक, विभाग की नजर इन बड़े लेन-देन पर पहले से ही रहती है, इसलिए इस नियम को नजरअंदाज करना आपको महंगा पड़ सकता है।
आम खरीदारों के लिए क्या हैं मायने?
आम लोगों के लिए, इस नियम का मतलब है थोड़ी अतिरिक्त जिम्मेदारी। प्रॉपर्टी खरीदने की प्रक्रिया में एक नया स्टेप जुड़ गया है। हालाँकि, इसका एक अच्छा पहलू यह है कि इससे पारदर्शिता बढ़ेगी और ब्लैक मनी का इस्तेमाल कम होगा। इससे रियल एस्टेट सेक्टर में लेन-देन ज्यादा transparent होंगे।
ध्यान रखने वाली जरूरी बातें
- PAN कार्ड जरूरी: खरीदार और विक्रेता, दोनों का PAN कार्ड होना बहुत जरूरी है। बिना PAN के TDS की रकम 20% तक हो सकती है।
- समय सीमा: TDS को प्रॉपर्टी रजिस्ट्रेशन के 30 दिन के अंदर जमा कराना अनिवार्य है।
- फॉर्म भरने में सावधानी: फॉर्म 26QB में दी गई सभी जानकारी सही और सीधा होनी चाहिए, वरना आपको दोबारा प्रक्रिया दोहरानी पड़ सकती है।
आपको बता दें, यह नया नियम आयकर कानून की धारा 194IA के तहत लाया गया है। इसका मकसद सिर्फ टैक्स वसूली करना नहीं, बल्कि बड़े लेन-देन पर एक डिजिटल नजर रखना भी है। अगर आप प्रॉपर्टी खरीदने की सोच रहे हैं, तो अपने CA या टैक्स एक्सपर्ट से सलाह जरूर लें ताकि आपको किसी भी तरह की दिक्कत न हो। थोड़ी सी सजगता आपको भविष्य में होने वाली मुश्किलों से बचा सकती है।